पृथ्वी के समय के अनुसार, किसकी उम्र में ब्रह्मांड, प्रलय और इतिहास का रहस्य छिपा हुआ है
अगर आपको अपना आज सुधारना है तो अतीत या इतिहास से सिख लेनी चाहिए, अगर आपको अपना इतिहास ही नहीं पता तो आप क्या सीखेंगे. दुनिया के पास ईसा से पुराना इतिहास ही नहीं है और वो सबूतों के अगर पर भारत को 9200 साल पुरानी सभ्यता मानते है.
लेकिन आप क्या मानते है अपना इतिहास का शुरुवात छोर? दुनिया भले ही रामायण महाभारत को काल्पनिक मानती है लेकिन क्या आप भी ऐसा ही मानते है? महाभारत 5200 साल पहले घटित हुई थी जबकि रामायण 1700000 साल पहली बताई जाती है हमारे इतिहास (शाश्त्रो) के अनुसार!
रामायण से दिवाली का इतिहास जुड़ा है तो होली का इतिहास प्रह्लाद से जुड़ा है लेकिन क्या आप जानते है की प्रह्लाद वाली घटना 22 लाख साल पहले घटी थी (अगर गत सतयुग के अंत में घटित माने तो, अन्यथा अरबो सालो पुरानी होगी)? बहुतो को इस बात पर संशय होगा तो जाने गीता और शाश्त्रो में बताई गई ब्रह्मा जी की आयु का मान जिससे सब संशय दूर होंगे.
“सहस्रा युग पर्यन्तं आहार यद् ब्राह्मणो विदुः रात्रिम युग सहस्रान्तं ते हो रात्र विडो जनाः” गीता का श्लोक है जिसका अर्थ है की ब्रह्मा जी का दिन धरती की एक हजार चतुर्युगी के बराबर होता है और रात्रि भी इतनी ही होगी है. चतुर्युगी यानी की सतयुग, त्रेता, द्वापर और कलियुग जिनका मान शाश्त्रो में क्रमश ये बताया गया है.
सतयुग धरती के 1732000 साल तक रहता है तो त्रेता 1296000 साल वंही द्वापर 864000 साल का तो कलि 432000 साल का होता है. मतलब ब्रह्मा जी का एक दिन रात ही 8 अरब 64 करोड़ 80 लाख धरती के दिनों के बराबर होता है इसमें से जब दिन बीत जाता है तो प्रलय होती है और पूरी धरती 4 अब 32 करोड़ 40 लाख सालो तक जलमग्न रहती है.
ये तो हुई ब्रह्मा जी के एक दिन की गणना अब जाने आज उनकी उम्र क्या है?
अब जब ब्रह्मा जी के एक दिन की गणना ये है तो सोचिये की उनके महीने, साल या सालो की गणना करेंगे तो कितना बड़ा होगा इतिहास? इसीलिए हमारा इतिहास जो वेदो और शाश्त्रो में लिखा है संक्षिप्त है और हर द्वापर के अंत में वेदव्यास जी जन्म लेकर फिर दुबारा लिखते है उससे पिछले कल्प और वर्तमान कल्प भर का इतिहास.
वैसे ब्रह्मा जी की उम्र अब पचास साल हो चुकी है कुछ गणना कर सकते है क्या उनके पृथ्वी के दिन या सालो की भी. ब्रह्मा जी की उम्र इसी हिसाब से 100 वर्ष बताई जाती है, वर्तमान उनका कल्प जो चल रहा है उसे वराह कल्प नाम दिया गया है क्योंकि इसकी शुरुवात में भगवान् वराह का अवतार हुआ था.
इसमें भी ये ब्रह्मा जी का कौनसा जन्म है वो भी तय नहीं है क्योंकि हर 100 वर्ष के बाद उनका शरीर मर जाता है और उन्हें तब नया शरीर मिलता है. उमाशंकर और विष्णु बस ये ही सनातन कारन है इस पृथ्वी के रचयिता होने के चलते ब्रह्मा जी भी त्रिदेवो में गिने जाते है.
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